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JPC रिपोर्ट पर हंगामा | खरगे Vs जेपी नड्डा | Wakf Bill Controversy


Introduction: राज्यसभा में एक बार फिर से संसद का माहौल गर्म हो गया। इस बार विवाद का कारण था वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट। मल्लिकार्जुन खरगे ने रिपोर्ट को फर्जी बताया और इस पर कड़ी आपत्ति जताई, जबकि जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। तो क्या सच में यह रिपोर्ट गलत है? या फिर इस पूरे विवाद के पीछे कुछ और कारण हैं? आइए, जानें इस विवाद की पूरी कहानी।


1. वक्फ बिल पर हंगामा

गुरुवार को राज्यसभा में मेधा कुलकर्णी ने जेपीसी की रिपोर्ट पेश की, जैसे ही रिपोर्ट पेश की गई, विपक्षी सांसदों ने हंगामा मचा दिया। उनका आरोप था कि रिपोर्ट में असहमति वाले नोट्स यानी डिसेंट नोट्स को हटा दिया गया है, जो असंवैधानिक है। वक्फ विधेयक पर हुए इस विवाद ने संसद में एक नया बवाल खड़ा कर दिया।


2. मल्लिकार्जुन खरगे का आरोप

मल्लिकार्जुन खरगे ने रिपोर्ट को ‘फर्जी’ करार दिया और कहा कि विपक्ष के कई सांसदों के असहमतिपूर्ण नोट्स को रिपोर्ट से हटा दिया गया है। खरगे का आरोप था कि सरकार ने जानबूझकर विपक्ष की राय को दबाया और इस रिपोर्ट को सही तरीके से संसद में पेश नहीं किया। उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट पूरी तरह से फर्जी है। हम इसे नहीं मानेंगे और इसे फिर से जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए।”


3. जेपी नड्डा का जवाब

जेपी नड्डा ने खरगे के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कहा कि कुछ लोग भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं और कांग्रेस उन्हीं का साथ दे रही है। नड्डा ने कहा, “यह अस्वीकार्य है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। रिपोर्ट में जो कुछ भी किया गया है, वह संविधान और संसदीय प्रक्रिया के अनुसार किया गया है।”

जेपी नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में कुछ हिस्से डिलीट किए गए थे, और यह प्रक्रिया पूरी तरह से कानूनी थी। उन्होंने यह बताया कि चेयरमैन को रिपोर्ट में बदलाव करने का अधिकार है, और इसी अधिकार का प्रयोग किया गया था।


4. क्या होगा आगे?

मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ से अपील की कि वह इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दें और इसे फिर से जेपीसी के पास भेजा जाए। उन्होंने कहा, “आप इसे संवैधानिक तरीके से फिर से पेश करें, हम इसे देखेंगे।” अब सवाल यह उठता है कि इस विवाद का अंत क्या होगा। क्या वक्फ बिल की रिपोर्ट फिर से जेपीसी को भेजी जाएगी? या यह विवाद यूं ही जारी रहेगा?


5. आपकी राय क्या है?

क्या आपको लगता है कि रिपोर्ट में वाकई असहमति वाले नोट्स को हटाना गलत था? क्या इस विवाद का कोई हल निकलेगा? हमें कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं।


Conclusion: वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट को लेकर राज्यसभा में मचा हंगामा अब सियासी रंग ले चुका है। मल्लिकार्जुन खरगे और जेपी नड्डा के बीच की यह जंग अब सिर्फ संसद तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का क्या नतीजा निकलेगा। क्या रिपोर्ट फिर से जेपीसी को भेजी जाएगी? या यह विवाद ऐसे ही चलता रहेगा?

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